नई दिल्ली। 8 नवंबर को 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने की घोषणा के पीछे सरकार का मकसद था कालाधन जो कि कैश के रूप में लोगों के गोदामों में दबा है उसे निकाला जाए। कारण जो भी हो 97 प्रतिशत राशि बैंकों में पहुंच गई। यानी सरकार को इस नोटबंदी का बड़ा फायदा नहीं दिखा। अब सरकार ऐसे खातों पर नजरें गड़ाए हुए है जिनमें 8 नवंबर के बाद से भारी भरकम राशि जमा की गई।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि नोटबंदी के बाद महज 50 दिन में ही 60 लाख से अधिक बैंक खातों में करीब 7.34 लाख करोड़ रुपये जमा हुए हैं। सिर्फ सहकारी बैकों में भी नोटबंदी के बाद 16000 करोड़ रुपये 500 व 1000 रुपये के पुराने नोट के रूप में बंद हुए हैं। वहीं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा हुई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जो बैंक खाते दो साल से बंद पड़े थे, उनमें भी नोटबंदी के बाद लगभग 25,000 करोड़ रुपये जमा होने का अनुमान है। अब सरकार करीब 6.80 लाख बैंक खातों की जांच में लगी है जिनमें नोटबंदी के बाद ढाई लाख से ज्यादा जमा हुए। इनको आयकर विभाग जल्द ही नोटिस भेजने वाला है। इसके अलावा सरकार पूर्वोत्तर के खातों पर भी जांच बिठा चुकी है। इनमें भी नोटबंदी के बाद से 10,700 करोड़ रुपये जमा हुए हैं।