साल के आखिरी दो दिन देश के दो राज्यों में सत्ता का ड्रामा चलता रहा। नए साल में भी इन दोनों राज्यों में राजनीतिक नूरा-कुश्ती देखने को मिलेगी। एक राज्य बड़ा और राजनीतिक नजरिए से अहम है इसलिए उसकी चर्चा खूब हुई लेकिन दूसरा राज्य मीडिया की सुर्खियों में वो जगह नहीं बना पाया। जबकि देखा जाए तो इस राज्य अरुणाचल प्रदेश पर नजर इसलिए भी होनी चाहिए क्योंकि इसपर हमारा पड़ोसी और अंदर से दुश्मन चीन की गिद्ध दृष्टि पड़ी रहती है।
एक दिन पहले अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू समेत पांच विधायकों को पार्टी से निकाल दिया गया था। पेमा खांडू अपने 41 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर अरुणाचल की क्षेत्रीय पार्टी में शामिल हो गए थे और मुख्यमंत्री बने थे। आज पेमा खांडू अपने 33 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। यहां 60 सीटों वाली विधानसभा में पीपीए के पास सिर्फ 10 विधायक ही बचे हैं। पीपीए के ज्यादातर विधायक कांग्रेस छोड़ इस दल में शामिल हुए थे। अब बीजेपी के पास 45 विधायक हो गए हैं । बीजेपी महासचिव राम माधव ने ट्वीट कर कहा, “प्रदेश में अब बीजेपी की सरकार होगी। यहां बीजेपी के 45 MLA हैं साथ ही मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ही होंगे।
बीजेपी के सहयोग से वहां कालिखो पुल मुख्यमंत्री बने थे, कांग्रेस ने अदालत में उस सरकार के खिलाफ गुहार लगाई औऱ सुप्रीम कोर्ट ने कालिखो पुल की सरकार को अवैध करार दिया। कांग्रेस से विरोध कर रहे विधायक पार्टी में वापस आ गए। कालिखो पुल को पद छोड़ना पड़ा, राज्य में बीजेपी समर्थित सरकार हटा दी गई, कांग्रेस पार्टी के खिलाफ फिर पेमा खांडू ने मोर्चा खोला, 42 में से 41 विधायकों के साथ क्षेत्रीय पार्टी में शामिल हो गए। कालिखो पुल ने अात्महत्या कर ली। अब फिर जब पेमा खांडू को उनको पार्टी ने पार्टीविरोधी गतिविधियों के लिए बाहर का रास्ता दिखाया तो वो अपने 33 विधायकों समेत बीजेपी में शामिल हो गए और मुख्यमंत्री की कुर्सी बचा ली।