उत्तर प्रदेश में हो रहे उठापटक का असर जितना पड़ोसी सूबे बिहार में है उतना शायद समाजवादी पार्टी परिवार के किसी भी सदस्य के ननिहाल या ससुराल में भी नहीं होगा। इन दिनों उत्तरप्रदेश के मुलायम परिवार में जितने कठोर फैसले लिए गए उसका सीधा असर बिहार में महागठबंधन परिवार पर पड़ा है। महागठबंधन का सुशासन धड़ा जहाँ उत्तरप्रदेश के हालातों से उत्साहित दिख रहा है वहीं दूसरा धड़ा जो मुलायम का रिश्तेदार भी है काफी चिंतित – परेशान नजर आ रहा है।
एक वक्त आया था जब सभी बिछड़े – बिखरे और टूटे समाजवादियों के मन में एकता की भावना जगी तो सबने अपनी अपनी तरकीबों के औजार के साथ एक मंच पर आने की कोशिश की पर अफ़सोस वो हो ना सका। मुलायम यादव ने पल्ला झाड़ लिया, ऐसा हम नहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं। तभी से नीतीश कुमार का मन मुलायम के प्रति खट्टा हो गया और बिहार में वो नहीं हो पाया जो लोक सभा चुनाव में नीतीश कुमार चाहते थे। ऐसे में नीतीश कुमार देश के प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए ऐसा उनको लगता है। उनके चिर प्रतिद्वंदी मोदी के सर ताज सजा और ये बात सुशाशन बाबू को आज भी चुभ रही है।
ये साफ है जब मुलायम के अड़ जाने की वजह से एक जनता परिवारा बनने का सपना अधूरा रह गया था। जिस वक्त ऐसा हुआ होगा निश्चित तौर पर नीतीश कुमार का मन समाजवादियों के प्रति मुलायम नहीं रहा होगा। तभी तो आज जब मुलायम के घर आग लगी है तो नीतीश कुमार इस पर नजर गड़ाए मंद मंद मुस्करा रहे हैं। जद यू सुप्रीमो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों राजगीर में आयोजित राष्ट्रीय परिषद् की बैठक में कहा था कि समाजवादी पार्टी को बिहार का अभिशाप लग गया है।
उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी में होनेवाले विधान सभा चुनाव के मद्देनजर सपा परिवार में छिड़ी जंग जदयू की राजनीति को भी प्रभावित करेगी यह तय है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश चुनाव में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के लिए वहां आठ सभाएं कर चुके हैं। जदयू के अनुसार उत्तरप्रदेश की वर्तमान राजनितिक स्थिति जदयू के पक्ष में जाएगी। नीतीश कुमार वहां भाजपा के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और अपनी इस मुहिम से मुलायम सिंह यादव को अलग कर रखा है। उन्हें इस बात का मलाल है कि अतीत में मुलायम ने काफी बड़ा दगा दिया था। जबकि नीतीश कुमार ने उस समय मुलायम सिंह यादव को नेता मान लिया था।वैसे मौजूदा दौर में यह नीतीश कुमार का सिर्फ खयाल ही हो सकता है।
दूसरी तरफ अब शराब बंदी की पूंछ पकड़कर वैतरणी पार करने की मंशा लिए जगह – जगह सुशासन कुमार सबको सलाह देने में मशगूल हैं ऐसे में उन्होंने मुलायम के युवराज अखिलेश को उनसे तोड़ने की कोशिश भी करके देख लिया , अखिलेश को सलाह दी कि शराबबंदी उत्तरप्रदेश में लागू कर दिया जाये तो जनता अखिलेश को अपने सर- माथे पर बैठा लेगी। नीतीश के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को ये रिस्क लेना चाहिए था। पर ये भी हो ना सका।
असली महागठबंधन का नहीं बन पाया तो नीतीश लालू ने नकली महागठबंधन कर बिहार का चुनाव जीत लिया। बिहार में दोनों मिलकर सत्ता चला रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में लालू अपने समधी के साथ खड़े हैं। तभी तो मुलायम के परिवार में खटपट पर लालू चिंतित हो गए। सपा के अध्यक्ष मुलायम सिंह और उनके मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव के बीच झगडे पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद की राय है कि मुलायम सिंह को समय रहते मामले को सुलझा लेना चाहिए वरना देर हो जाएगी। पूरे मामले पर लालू ने कहा है कि नेताजी के परिवार से ऊपर पार्टी के लाखों समर्थकों का भविष्य है । सांप्रदायिक ताकतों को रोकना है तो सूझबूझ के साथ इस संकट के समय काम लेना होगा। लालू ने इस पूरे प्रकरण को खेती किसानी से जोड़कर बताया, सलाह दी कि समय बीतने के बाद कुछ हासिल नहीं होगा जैसे बरसात बीतने के बाद फसल नहीं बोया जा सकता है।
यूपी में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान को पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार व बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इसे परिवार का मामला मानते हैं और उम्मीद करते हैं की जल्द ही समाधान होगा। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के परिवार की दो बेटियां मुलायम सिंह के परिवार की बहू हैं। लालू की सबसे छोटी बेटी व तेजस्वी की बहन राजलक्ष्मी की शादी मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह के पोते व मैनपुरी से सांसद तेजप्रताप यादव से हुई है। लालू के साले और राबड़ी के भाई साधु यादव की बेटी ईशा की शादी मुलायम सिंह यादव के नाती राहुल से हुई है। ऐसे में अगर लालू परिवार नीतीश कुमार से परे हटकर मुलायम को अभिशाप नहीं बल्कि अच्छी कामना की बात और सलाह देता है तो बुरा नहीं पर कोई अभिशाप की बात करता है तो अटपटा जरूर लगता है और ये भी सोचना चाहिए कि ये सियासत है कब किसकी जरूरत कहाँ पड़ जाये कहा नहीं जा सकता।