इस्लामाबाद, 10 अक्टूबर। आतंकवादी देश का प्रधानमंत्री रहना है, तो आतंकवादियों के सरगना की ही तरह पेश आना होगा। ऐसा लगता है कि आतंकवादी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ इस तथ्य को भली भांति समझ गए हैं, इसीलिए वे बार-बार आतंकवादी बुरहान वानी को आज़ादी का योद्धा और कश्मीर का गौरव वगैरह-वगैरह बताते रहते हैं। एक बार फिर से उन्होंने ऐसा ही कहा है।
जिस तरह से रस्सी जल जाती है, लेकिन उसकी ऐंठन नहीं जाती। उसी तरह से भारतीय सेना द्वारा पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किए जाने के बावजूद पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री की हेकड़ी गई नहीं लगती है। रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक शरीफ ने कहा है कि “दुनिया की कोई ताकत हमें कश्मीरियों की आज़ादी की लड़ाई को समर्थन देने से नहीं रोक सकती।”
शरीफ़ ने कहा कि “भारत गलती कर रहा है, अगर उसे लगता है कि आज़ादी के संघर्ष की तुलना आतंकवाद से की जा सकती है।” ख़बरों के मुताबिक शरीफ अपनी पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में बोल रहे थे।
गौरतलब है कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है। इसी मुद्दे पर सार्क के अधिकतर देशों ने इस्लामाबाद में होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। साथ ही, उरी में किए गए आतंकवादी हमलेे के चलते उसे दुनिया के अधिकांश देशों से फटकार मिली है। सिंध, बलूचिस्तान और पीओके के तमाम इलाकों में लोग पाकिस्तान से आज़ादी की मांग कर रहे हैं और पाकिस्तानी सेना के दमन का विरोध कर रहे हैं। लेकिन नवाज़ शरीफ़ फिर भी कश्मीर-राग अलापे जा रहे हैं।
क्या इसे ही नहीं कहते हैं विनाशकाले विपरीत बुद्धि?