मुंबई। हाजी अली दरगाह की मुख्य मजार में आज 80 महिलाओँ ने चादर चढ़ाई। यह घटना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी, लेकिन महिला संगठनों की गुहार के बाद अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि वहां महिलाओँ को जाने से नहीं रोक सकते। दरगाह में जियारत करने आईं भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन से जुड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमारी लड़ाई लिंग के आधार पर भेदभाव के खिलाफ़ है और आगे भी हम यहां आते रहेंगे। महिलाओँ को बराबरी दिलाने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओँ को प्रवेश दिलान के लिए लड़ाई लड़ने वाली तृप्ति देसाई ने भी हाजी अली दरगाह में महिलाओं को प्रवेश दिलाने के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि अब 3 दिसंबर को करीब 100 महिलाओं का पुणे से मुंबई मार्च होगा और वे हाजी अली दरगाह पर चादर चढ़ाएंगी।
हाजी अली दरगाह में पीर हाजी अली शाह बुख़ारी की कब्र है। वे एक सूफी संत थे जो इस्लाम के प्रचार के लिए ईरान से भारत आए थे।