नोटबंदी के बाद पूरे देश में अगर 500 और 1000 के नोट के अलावा कोई और चर्चा में है तो वो है डिजिटल Money ट्रांजैक्शन करने वाली कंपनी, पेटीएम। नोटबंदी के बाद जब से सरकार ने कैशलेश इकॉनॉमी की बढ़ाने की बात की है पेटीएम का कारोबार तुफानी रफ्तार से बढ़ रहा है। चाय के ठेले से लेकर सब्जी की दुकान तक हर दुकानदार अब पेटीएम से सामान बेचने लगा है। यह अलग बात है कि किसी भी डिजिटल ट्रांजैक्शन के ये नए सेंटर, टैक्स भरने वाले भी नए ग्राहक हैं।
इस बीच पेटीएम को लेकर सोशल मीडिया पर खूब बातें होने लगी। चीन के उल्लेखनीय स्वामित्व को लेकर ओलाचना झेल रही पेटीएम के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी विजय शेखर शर्मा ने जोर देकर कहा कि ई-कॉमर्स और भुगतान प्लेटफॉर्म करने वाली पेटीएम उतनी ही भारतीय है जितनी मारुति है। हमें भारत की कहानी का प्रतिनिधित्व करने को लेकर गर्व है। शर्मा ने कहा कि हम मारुति जितने ही भारतीय हैं। हम प्रत्येक रूप में भारतीय हैं।
आपको बता दें कि नोटबंदी के बाद सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए पेटीएम ने फैसले के अगले ही दिन अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन दिए। कंपनी के इस विज्ञापन में रिलायंस जिओ की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी छपी थी। प्रधानमंत्री की इस तस्वीर के बाद विपक्षी पार्टियों ने मोदी औऱ पेटीएम से संबंध पर सवाल उठाए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल औऱ राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव ने कहा कि नरेंद्र मोदी को यह साफ करना चाहिए कि उनके और पेटीएम के बीच क्या पक रहा है।
पेटीएम के सीईओ विजय शेखरशर्मा ने कहा कि पेटीएम दुनिया के सामने भारतीय कंपनी के रूप में जानी जाती है और जो भारत का ‘गौरव’ है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए हमारे ग्राहक, देश का कानून और नियामक महत्वपूर्ण हैं। पेटीएम की सबसे बड़ी शेयरधारक चीन की कंपनी अलीबाबा है। अलीबाबा दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी है। ज्ञात हो कि अलीबाबा समूह और उसकी सहयोगी एंट फाइनेंशियल ने पेटीएम की मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस में पिछले साल 68 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। इस तरह देश की सबसे बड़ी मोबाइल वॉलेट ऑपरेटर में उसकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक हो गई है। हाल में आई खबरों पर गौर करें तो चीन के इस निवेशक ने पेटीएम में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 70 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया है।