तमिलनाडु में जयललिता की विरासत को लेकर जंग छिड़ सकती है। एक तरफ लोकसभा उपाध्यक्ष एम थंबीदुरई और राज्य के मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेलवम ने जहां शशिकला से पार्टी की बागडोर संभालने का अनुरोध किया है, वहीं जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार ने शशिकला को पार्टी की कमान सौंपे जाने की कोशिशों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। दीपा ने खुद राजनीति में आने के संकेत भी दिए और कहा कि जयललिता ने शशिकला या किसी अन्य को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया था। दीपा की मानें तो शशिकला ने जयललिता की पीठ पीछे बहुत कुछ ऐसा किया, जो उन्हें नहीं करना चाहिए था। इतना ही नहीं, बकौल दीपा, शशिकला जयललिता से वे बातें छुपा भी लेती थीं।
दूसरी तरफ़ लोकसभा उपाध्यक्ष एम थंबीदुरई ने बहुत मज़बूती से शशिकला को एआईएडीएमके की कमान सौंपे जाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि जब उन जैसे नेता चुनावों के समय या अन्य महत्वपूर्ण मौकों पर जयललिता की राय लेने जाते थे, तो जयललिता उन्हें शशिकला के पास ही भेज दिया करती थीं। थंबीदुरई के मुताबिक शशिकला ने पार्टी और जयललिता के लिए काफी कुर्बानियां दीं। यहां तक कि राजनीतिक कारणों से उनके खिलाफ़ झूठे आरोप लगाए गए और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। थंबीदुरई ने कहा- ‘‘इस मोड़ पर जब माननीय अम्मा हमारे बीच नहीं हैं, तो माननीय चिनम्मा (शशिकला) ही इकलौती ऐसी व्यक्ति हैं, जो अन्नाद्रमुक का नेतृत्व करने में सक्षम हैं और जिनके पास अनुभव है।’’
शशिकला पिछले 35 साल से जयललिता के साथ थीं। उनका जन्म 1957 में हुआ था। वे एक वीडियो पार्लर चलाती थीं और जिन शादी समारोहों में जयललिता शामिल होती थीं, उसकी रिकॉर्डिंग वही करती थीं। धीरे-धीरे जयललिता के साथ उनकी करीबी बढ़ती चली गई औऱ वे जयललिता के साथ उनके घर में ही रहने लगीं। कुछ साल पहले उनपर जयललिता को ज़हर देकर मारने की साज़िश करने का आरोप भी लगा, जिसके बाद जयललिता ने उन्हें और उनके परिवार के लोगों को घर से बाहर निकाल दिया था। हालांकि बाद में शशिकला को उन्होंने वापस घर बुला लिया, लेकिन शशिकला के परिवार के लोगों से दूरी बनाए रखी।