समाजवादी परिवार की लड़ाई अब निश्चित तौर पर कानूनी रंग लेने जा रही है। पार्टी पर वर्चस्व की लड़ाई में अखिलेश यादव का पलड़ा भारी है। यह आज तब और साफ हो गया जब निष्कासित प्रदेश अध्यक्ष ने ट्वीट कर बताया कि नेताजी मुलायम सिंह ने जो राष्ट्रीय अधिवेशन ५ जनवरी को बुलाया था वो अब उनके आदेश पर स्थगित किया जाता है। हालांकि इसके पीछे अभी तक कोई वजह नहीं बताई गई है। पहली जनवरी को रामगोपाल यादव के बुलाए राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित करने का बाद मुलायम सिंह ने 5 जनवरी को अधिवेशन बुलाने का फरमान जारी किया और रामगोपाल यादव के अधिवेशन को असंवैधानिक करार दिया।
शिवपाल यादव ने ट्वीट कर कहा है कि ‘ नेताजी के आदेशानुसार समाजवादी पार्टी का 5 जनवरी का अधिवेशन फिलहाल स्थगित किया जाता है। सभी नेता और कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र में चुनाव की तैयारियों में जुटें और जीत हासिल करने के लिए जी-जान से मेहनत करें।’
पिछले दो-तीन दिनों में अखिलेश यादव ने साबित किया है कि वो अब समाजवादी पार्टी के नए सुल्तान हैं। पहले ३१ दिसंबर को विधायकों-उम्मीदवारों की बैठक बुलाकर सूबे में अपनी ताकत का इजहार किया। पार्टी के २०० से ज्यादा विधायकों का साथ पाकर अखिलेश ने अगले दिन अपने सलाहकार चाचा के जरिए अपनी ताजपोशी करवा ली और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। नरेश उत्तम को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी दफ्तर पर कब्जा कर लिया।
मुलायम सिंह यादव के बुलाए गए अधिवेशन को स्थगित किेए जाने के पीछे दो कारण माना जा रहा है। पहली वजह यह कि अगर उस अधिवेशन का हाल भी मुलायम की बैठक की तरह हुआ तो रही सही इज्जत भी जाती रहेगी और सुलह के सारे रास्ते बंद हो जाएँगे। ३१ दिसंबर को आजम खान ने सुलह की कोशिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन्होंने एक बार फिर सुलह की कोशिश करने की बात कही है। दूसरी वजह है कि अब मुलायम कुनबा कानूनी सलाह लेना चाहता है कि आखिर पार्टी औऱ उसके चुनाव चिह्न पर किसका कब्जा रहेगा।
इसी बीच ज्यादा तनाव की वजह से पार्टी और परिवार के मुखिया मुलायम सिंह की तबीयत बिगड़ गई है। उनके स्वास्थ्य के ठीक होने तक पार्टी की कोई बड़ी गतिविधि नहीं होगी और ऐसा नहीं किया जाना है ऐसा सभी सलाहकारों का मानना है। हालांकि इस पूरे हफ्ते में समाजवादी पार्टी और उत्तर प्रदेश की मौजूदा चुनावी राजनीति की दिशा तय होगी क्योंकि इसी हफ्ते चुनाव आयोग प्रदेश में चुनाव की तारीखें भी घोषित करेगा और समाजवादी पिता-पुत्र सत्ता से पहले पार्टी पर कब्जे की लड़ाई लडेंगे।