टाटा, जिसकी विश्वसनीयता को लेकर कहा जाता है कि – नाम ही काफी है, ने अचानक एक फैसला सुनाया जिसने पूरे देश को आश्चर्य में डाल दिया। टाटा ग्रुप ने साइरस मिस्त्री को महज चार साल में ही चेयरमैन पद से हटा दिया। 2012 में जब उन्हें कमान दी गई थी, तब भी किसी ने सोचा नहीं था कि हमेशा लो- प्रोफाइल में रहने वाले शख्स साइरस को करीब 4 लाख 75 हजार 721 करोड़ रु. के एम्पायर का मुखिया बना दिया जाएगा। पूरी दुनिया के कॉरपोरेट जगत को चौंकाते हुए सायरस मिस्त्री आए थे। महज ४४ साल की उम्र में वो टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने । मिस्त्री, आजाद हिंदुस्तान में टाटा परिवार से अलग ग्रुप के चेयरमैन बनने वाले पहले व्यक्ति थे। लेकिन 48 साल के साइरस को हटाकर अब 78 साल के रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बना दिया गया है। ग्रुप के 148 साल के इतिहास में सोमवार को ऐसा पहली बार हुआ जब किसी चेयरमैन को हटाया गया है। मौजूदा वक्त में टाटा ग्रुप का मार्केट कैप 8 लाख करोड़ है।
अगल चेयरमैन तलाशेंगे रतन टाटा
78 साल के रतन टाटा एक बार फिर से टाटा सन्स के अगले चेयरमैन को खोजने के लिए सिलेक्शन पैनल का हिस्सा होंगे। साइरस टाटा ग्रुप का चार्ज संभालने वाले दूसरे ऐसे शख्स थे, जो टाटा फैमिली से नहीं आते थे। इससे पहले सर नौरोजी सकलतवाला 1932 से 38 तक ग्रुप के चेयरमैन रहे। उनकी चैयरमैन के पद पर एंट्री काफी चौंकाने वाली थी। साइरस को 28 दिसंबर, 2012 को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था। उस वक्त उनकी उम्र 44 साल थी।
हटाने की वजह नहीं साफ
कंपनी के बोर्ड ने कोई ठोस कारण नहीं बताया है, लेकिन माना जा रहा है कि टाटा सन्स अपने ग्रुप की नॉन-प्रॉफिट बिजनेस वाली कंपनियों से ध्यान हटाने की मिस्त्री की सोच से नाखुश थी। यह भी कहा जा रहा है कि हटाने का फैसला टाटा ट्रस्ट ने लिया है।