नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन ने नोटबंदी के फैसले को सरकार निरंकुश कार्रवाई जैसा बताते हुए कहा है कि नोटबंदी सरकार की अधिनायकवादी प्रकृति को दर्शाता है। इंडियन एक्सप्रेस अखबार को दिये साक्षात्कार में प्रो. सेन ने कहा, “लोगों को अचानक यह कहना कि जो नोट आपके पास हैं वो अब किसी काम के नहीं है, उसका कोई इस्तेमाल नहीं हो सकता, यह अधिनायकवाद की एक जटिल अभिव्यक्ति है, जिसे सरकार जायज ठहरा रही है क्योंकि ऐसे कुछ नोट कुछ लोगों के पास काले धन के रूप में जमा हैं।” उन्होंने कहा, “सरकार की इस घोषणा से एक ही झटके में सभी भारतीयों को कटघरे में ला खड़ा किया है लेकिन ऐसा नहीं हैं।”
नोटबंदी से लोगों को पेश आ रही मुश्किलों पर उन्होंने कहा, “केवल एक अधिनायकवादी सरकार ही चुपचाप लोगों को ऐसी परेशानी झेलने के लिए छोड़ सकती है। आज लाखों लोगों को अपने पैसों से वंचित किया जा रहा है।” जब प्रो. सेन नोटबंदी के सकारात्मक असर के बारे में पूछा गया उन्होंने कहा, “यह मुश्किल लगता है। यह ठीक वैसा ही है जैसा कि सरकार ने विदेशों में पड़े काले धन को वापस लाने और सभी को गिफ्ट देने का वादा किया था और लेकिन सरकार असफल रही।”