उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव परिवार का मनमुटाव और तेज़ हो गया है। चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच का तनाव अब पार्टी पर भी दिखने लगा है। मामले को शांत करने के लिए पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान बेटे से छीन कर भाई के हाथ में दे दी, लेकिन अब शिवपाल यादव अपने फैसलों से भतीजे अखिलेश को चिढ़ाने का काम कर रहे हैं। उनका ताजा फैसला तो इसी ओर इशारा कर रहा है।
अखिलेश यादव की नापसंदगी के बावजूद शिवपाल यादव ने गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया है। गुरुवार को यह जानकारी यूपी के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने दी। उन्होंने इसे पार्टी का फैसला बताया और इसमें सभी की रजामंदी बताई।
सबकी रजामंदी में अखिलेश की हामी शामिल थी, ये कहना मुश्किल है, क्योंकि कुछ महीने पहले भी मुख्तार की पार्टी के सपा में विलय का एलान किया गया था, लेकिन तब अखिलेश ने साफ कहा था कि सरकार अपने काम के दम पर इलेक्शन जीत सकती है, उसे इस तरह के लोगों की ज़रूरत नहीं है।
अखिलेश की नाराज़गी की वजह से ही उस वक्त कौमी एकता दल का विलय रोक दिया गया था। इसे लेकर मुलायम के परिवार में विवाद भी हो गया। शिवापल ने उस वक्त भी इस विलय को लेकर अखिलेश को मनाने की कोशिश की, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए, लेकिन अब जब पावर उनके हाथ में आई, तो उन्होंने अखिलेश को किनारे कर इस विलय को अंजाम तक पहुंचा दिया।
आपको बता दें कि बाहुबली मुख्तार अंसारी साल 1996 में मऊ सीट से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। जबकि साल 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में वो निर्दलीय जीते थे। इसके बाद साल 2012 के चुनाव के उन्होंने कौमी एकता दल का गठन किया।