नोटबंदी के बीच सरकार ने प्लास्टिक के नोट भी सर्कुलेशन में लाने का फैसला किया है। शुक्रवार को संसद में वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जानकारी दी कि इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। मेघवाल ने कहा कि प्लास्टिक या पॉलिमर सबस्ट्रेट बेस्ड नोट छापने का फैसला लिया गया है और इसके लिए मैटीरियल भी खरीदा जा रहा है। उन्होंने कहा, रिजर्व बैंक लंबे समय से फील्ड ट्रायल के बाद प्लास्टिक करंसी लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
सरकार ने ये भी बताया कि प्लास्टिक के नोटों की उम्र 5 साल होती है और इनकी नकल करना मुश्किल होता है। मेघवाल ने बताया, प्लास्टिक या पॉलीमर सब्सट्रेट से प्लास्टिक करंसी प्रिंट करने का फैसला हुआ है। इसकी प्रोसेस शुरू हो गई है। 2014 में सरकार ने संसद को बताया गया था फील्ड ट्रायल के लिए शहरों का चयन क्लाइमेट और जिओग्राफिकल कंडीशन को देखते हुए किया गया है। सरकार ने कहा कि कोच्चि, मैसूर, जयपुर, शिमला और भुवनेश्वर का चयन फील्ड ट्रायल के लिए किया गया है।
प्लास्टिक के नोटों की खासियत
पॉलिमर नोट और कागज के नोटों की एक तुलात्मक रिसर्च बैंक ऑफ इंग्लैंड ने कराई। इस रिसर्च का मकसद लोगों और पर्यावरण के लिहाज से बेहतर करंसी उपलब्ध कराना था। रिसर्च में सामने आया कि प्लास्टिक करंसी के इस्तेमाल से कागज के नोटों को छापने में लगने वाला रॉ मैटेरियल बचता है। इनमें पेड़, पानी और ऊर्जा प्रमुख हैं।
- इस रॉ मैटेरियल के बचने का सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है।
- ग्लोबल वार्मिंग में कमी आती है। ऊर्जा की खपत भी कम होती है।
- 2011 में पॉलीमर नोट सर्कुलेशन में लाने वाले बैंक ऑफ कनाडा ने भी रिसर्च कंडक्ट की।
- रिसर्च के मुताबिक पॉलिमर नोट पर्यावरण के लिहाज से कागज के नोटों से ज्यादा फायदेमंद होते हैं।
- प्लास्टिक के नोटों को री-साइकिल करके उनसे दूसरे प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं।
- प्लास्टिक के नोटों पर कम चिपकता है बैक्टीरिया
- दुनियाभर के 30 देशों में प्लास्टिक करंसी सर्कुलेशन है।
- इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और कनाडा भी शामिल हैं।
- ऑस्ट्रेलिया में जाली नोटों की मुश्किल से निपटने के लिए प्लास्टिक करंसी सर्कुलेशन में लाई गई थी।