नोटबंदी को लागू हुए पूरा एक महीना हो गया। इस पूरे महीने में लोगों की परेशानियां जस की तस हैं। बैंकों के पास पैसा नहीं है, कतार कम होने का नाम नहीं ले रही। एटीएम खाली पड़े हैं और बाजार में हर ओर मंदी है। नोटबंदी लागू करने के साथ ही प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि देश की जनता महज पचास दिन उनका साथ दे, उसके बाद वो उनके सपनों का भारत देंगे। जाहिर यह पचास दिन में संभव नहीं लेकिन अगर सपनों के भारत के रास्ते पर जाता हुआ देश दिखे तो उम्मीद बरकरार रहेगी, लेकिन नोटबंदी के बाद से सरकार के लगातार बदलते नियमों ने सरकार की अधूरी तैयारी को ही जाहिर किया है।
नोटबंदी के फैसले के बाद से कई बार नियमों में फेरबदल किया जा चुका है। सिर्फ एक नियम में तब्दीली नहीं हुई है और वो है कि आप अपने बैंक खातों में 30 दिसंबर तक जितना चाहे पैसा जमा कर सकते हैं, हां आपको उनका हिसाब देना होगा जो पहले भी देना होता था। रिजर्व बैंक में आप 31 मार्च तक पैसे जमा कर सकेंगे। पहले सरकार ने कहा था कि आप 30 दिसंबर तक पैसे बदल सकेंगे लेकिन उसकी मियाद 24 नवंबर को ही खत्म कर दी गई। निश्चित तौर पर बैंको के बाहर लगी लंबी कतार और उस कतार में हो रही मौतों पर लगाम के लिए सरकार ने यह फैसला लिया।
सूत्रों के मुताबिक सरकार अब एक और बड़ा बदलाव करने का मन बना रही है। बैंको में पुराने नोट जमा करने की मियाद अब तीस दिसंबर से घटाकर 15 दिसंबर करने की तैयारी हो रही है। ऐसा सरकार दो वजहों से करने जा रही है, पहली वजह यह है कि रिजर्व बैंक के आंकड़ो के मुताबिक 14.50 लाख पुराने बड़े नोट बाजार में थे जिसमें से उन्हें तकरीबन सत्तर फीसदी यानी 8-9 लाख करोड़ रुपए वापस बैंक में आने की उम्मीद थी। एक महीने के अंदर ही बैंको में ११.८५ लाख करोड़ रुपये वापस आ गये हैं जो तकरीबन 82 फीसदी है। अभी पूरा महीना बाकी है। ऐसे में अगर यह आंकड़ा 14 लाख करोड़ से उपर जाता है तो फिर कालाधन कहां है यह सवाल सरकार को परेशान करेगा क्यूंकि सरकार ने नोटबंदी को सीधे कालाधन वापस लाने की मुहिम से जोड़ा है। दूसरी वजह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद बैंको औऱ एटीएम के बाहर कतार कम नहीं हो रही जिसकी वजह साफ है कि जितनी जरुरत है उतनी भी नई करंसी बैंको तक नहीं पहुंच पाई है पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने का तो सवाल ही नहीं होता।
सरकार और नोटबंदी से जुड़े अधिकारियों को लगता है कि अब जिनके पैसे बैंक में जमा होने बाकी हैं उनमें ज्यादातर वैसे लोग हैं जिनके पास पर्याप्त नकदी थी और वो भीड़ छंटने का इंतजार कर रहे थे, ये ऐसे लोग हैं जो बैंकिंग व्यवस्था से वाकिफ हैं और वो अपने पैसे जमा करने के लिए रिजर्व बैंक का रुख कर सकते हैं। साथ ही कुछ ऐसे लोग होंगे जो काला-सफेद करने की जुगत-जुगाड़ में होंगे वो रिजर्व बैंक का रुख करने से घबराएँगे या फिर सरकार की नई टैक्स नीति के तहत पैसे की घोषणा करेंगे ।सरकार की फिफ्टी -फिफ्टी वाले स्कीम में अभी तक लोगों ने कोई घोषणा नहीं की है। न ही रिजर्व बैंक ने उससे जुड़ा कोई आंकड़ा रिलीज किया है। लिहाजा इन बातों को देखते हुए इस आशय में दम लगता है कि सरकार आऩे वाले एक-दो दिनों में यह घोषणा कर सकती है कि बैंको में पुराने नोट जमा करने की तारीख अब 15 दिसंबर तक ही होगी।
कालाधन वापस नहीं आ रहा है और यही वजह है कि सबकी उम्मीदों के उलट रिजर्व बैंक ने बुधवार को इंटरेस्ट रेट में कोई कटौती नहीं की। गवर्नर उर्जित पटेल ने रेपो रेट 6.25% पर बरकरार रखा। नोटबंदी से बैंकों में जमा बढ़ने की दलील देकर फाइनेंस मिनस्टर अरुण जेटली, एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य समेत ज्यादातर बैंकर्स कह रहे थे कि इंटरेस्ट रेट 0.5% तक घटेगा। पर रिजर्व बैंक ने कहा कि अभी कुछ भी साफ नहीं है, ऐसे में इंटरेस्ट रेट्स घटा नहीं सकते। साथ ही जब आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल से यह पूछा गया कि 82% रकम बैंकों में आ चुकी है। जमा कराने के 23 दिन अभी बचे हैं, तो क्या आपको लगता है कि सिस्टम में कालाधन नहीं था, उर्जित पटेल सवाल टाल गए और कहा- नोटबंदी से लाॅन्ग टर्म में फायदा होगा।