नई दिल्ली। हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया न्यूज’ के सीनियर विडियो जर्नलिस्ट कमल नेगी का दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके आकास्मिक निधन की खबर जिसने भी सुनी, वह एक पल के लिए यकीन ही नहीं कर पाया, कि कमल नेगी अब उनके बीच नहीं रहे। उनके चाहने वाले गमगीन हो गए। उनके साथ काम कर चुके या उनसे उसे जुड़े सहयोगियों ने श्रद्धाभाव से उनका स्मरण किया। इंडिया न्यूज के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत ने उन्हें याद करते हुए एक फेसबुक पोस्ट भी लिखा है, जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं-
सबसे दग़ाबाज़ है, सबसे फ़रेबी। दुनिया की सबसे मुश्किल पहेली। जैसे आसमान का सिरा या धरती का छोड़ ढूंढने को कहता है कोई। हर वक़्त पास, हर वक़्त दूर। सबसे बड़ा महबूब लेकिन हो सकता है, जब आपको सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो उसी वक़्त साथ छोड़ जाए। कमबख़्त ज़िंदगी है। कुछ सांसों की डोर पर जिम्नास्ट की तरह चलती है। कमल नेगी, इंडिया न्यूज़ के कैमरामैन पिछले गुरुवार को मेरे साथ बनारस में थे और उससे पहले वाले गुरुवार को मेरे साथ श्रीनगर की यात्रा पर। आज उनकी अंतिम यात्रा से लौटकर आ रहा हूं।
बहुत सोचने के बाद भी हिम्मत नहीं हुई कि उसकी चिता देख सकूं। उसके घर से कुछ दूर चलकर लौट आया। हट्ठा-कट्ठा पहाड़ी जवान, धुन का पक्का, काम में माहिर कमल, कई दफा ‘अर्धसत्य’ के लिये मेरे साथ शूट पर रहा। कार में अक्सर पानी की बोतल मेरी बगल में रख दिया करता और कई बार कहता- सर आप पानी बहुत पीते हैं ना! होटल में मेरी चाय से लेकर खाने तक का ऑर्डर कमल दे दिया करते।
सर, आपके साथ हर आदमी काम नहीं कर सकता, एक रोज कमल ने सड़क किनारे चाय पीते हुए कहा। मैंने कहा- क्यों? अरे सर, बिना कुछ खाए- पिए दिनभर लगातार काम करते हैं आप। रात में ही खाना नसीब हो पाता है। आदमी कुछ बोल भी नहीं पाता डर से। धीरे धीरे और अदब से ही सही लेकिन कमल ने अपनी तकलीफ रख दी। नहीं तुम्हें जब लगे कि कुछ खाना-पीना है तो कहना, मैं 15-20 मिनट इंतजार कर लूंगा- मैंने कहा। अभी पिछले गुरुवार को हम दोनों काशी के हरिश्चंद्र घाट पर थे और मैं वॉक थ्रू कर रहा था। मेरी बात पूरी हुई तो कहा – सर ये कहानी मैंने बचपन में पढ़ी थी, आपके वॉकथ्रू ने याद दिला दी। मामला राजा हरिश्चंद्र और रानी तारा के बीच बेटे रोहिताश्व के अंतिम संस्कार को लेकर तकरार का था। दोनों के बीच जो बात हुई थी, उसी के बारे में मैं बता रहा था। जब हम कार में बैठकर आगे की लोकेशन के लिए निकले तो कमल शूट प्रीव्यू करने लगा।
हरिश्चंद्र घाट के दो वॉकथ्रू मैंने किए थे और कमल को दोनों पसंद थे। मैंने कहा रहने दो ना, एडिट टेबल पर मुश्ताक को जो अच्छा लगेगा, लगा लेगा। रात दस बजे हम एक साउथ इंडियन रेस्तरां में बैठे। बनारस के हमारे रिपोर्टर संतोष वहां जिद करके ले गए थे। हमने रवा डोसा खाया। उतरते समय मैंने पूछा- कमल, ठीक लगा? हां सर, बड़ा अच्छा था। रेस्तरां से निकलकर वो सामने की पान दुकान पर चला गया। जब तक उसका पान लगा मैं सड़क पर खड़ा रहा। पास आकर मेरे हाथ का थैला ले लिया और कहा कि – सर, आप कार में बैठिए, मैं जरा सारा सामान समेटकर रख दूं। आज वो अचानक अपनी सारी दुनिया समेटकर निकल गया। रात में कहीं बाहर से तीन साढ़े तीन बजे आया और नहा धोकर खाना खाया और सो गया। यह आखिरी नींद थी। सात साल के बेटे और पत्नी के सामने पूरी जिंदगी पड़ी है। अंधेरी और मुश्किल भरी। बहुत तकलीफ में हूं और बहुत हिला हुआ भी।
सौजन्य: समाचार फॉर मीडिया