यह ख़बर क्या आई कि अब बिग बाज़ार में भी डेबिट कार्ड से दो हज़ार रुपये निकाले जा सकेंगे, राजनीति और गरमा गई। पहले आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बिग बाज़ार से गुप्त डील करने का आरोप लगाया, और अब राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी इस बाबत केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है।
लालू ने सरकार से मुख्य रूप से तीन सवाल पूछे हैं।
- पहला- जब लोगों को देने के लिए बैंकों के पास ही पर्याप्त नए नोट नहीं हैं, तो बिग बाज़ार के पास कहां से आ गए?
- दूसरा- रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के किस नियम के तहत बिग बाज़ार को लोगों को कैश देने की इजाज़त दी गई है?
- तीसरा- नोटबंदी के बाद जारी आरबीआई गाइडलाइन्स के मुताबिक कोई कंपनी करेंट एकाउंट से एक सप्ताह में अधिकतम 50 हज़ार रुपये ही निकाल सकती है, फिर बिग बाज़ार के पास इतना कैश कहां से आया कि वह लोगों को बांट सके? क्या सरकार ने उसके खाते को कोई विशेष सुविधा दे रखी है?
लालू ने आरोप लगाया कि सरकार बिग बाज़ार को फ़ायदा पहुंचा रही है और इससे अंततः छोटे किराना व्यापारियों और जनरल स्टोर्स को ही नुकसान पहुंचेगा। हालांकि बिग बाज़ार के सीईओ किशोर बियानी ने अपने ट्वीट में सफाई दी है कि उनकी कंपनी लोगों को पैसे बैंक से निकालकर नहीं दे रही, बल्कि जो पैसा सामानों की बिक्री से उनके स्टोर्स में आ रहा है, उसे ही वापस ग्राहकों तक पहुंचा रही है।
गौरतलब है कि निजी क्षेत्र की रिटेल कंपनी बिग बाज़ार के देश भर में 258 स्टोर्स हैं। इन तमाम स्टोर्स पर गुरुवार 24 नवंबर से डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड के ज़रिए लोग दो हजार रुपए तक कैश निकाल सकेंगे। इसी के साथ, बिग बाज़ार वह पहली निजी कंपनी बन गई है, जो नोटबंदी के बाद लोगों को क्रेडिट और डेबिट कार्ड से कैश दे रही है। इससे पहले सरकार पर बिग बाज़ार से पहले मोबाइल ऐप के ज़रिए प्रीपेड पेमेंट की सुविधा देने वाली कंपनी पेटीएम को भी फायदा पहुंचाने का आरोप लग चुका है।