क्यूबा के 17वें राष्ट्रपति और क्रांतिकारी नेता फिडेल कास्त्रो का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। फिडेल कास्त्रो अमेरिका और क्यूबा के संबंधों को लेकर काफी सुर्खियों में रहे। राष्ट्रपति राउल कास्त्रो के हवाले से क्यूबा के राष्ट्रीय न्यूज चैनल ने इसकी पुष्टि कर दी है।
50 साल तक किया क्यूबा पर राज
90 साल के फिदेल कास्त्रो बीते 10 साल से स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से सत्ता से दूर थे। उनकी जगह भाई राउल कास्त्रो सत्ता संभाल रहे हैं। साल 1959 से दिसंबर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और 1976 से 2008 तक वहां के राष्ट्रपति रहे फिदेल कास्त्रो क्यूबा क्रांति के प्रमुख नेता माने जाते हैं। इसके बाद वह क्यूबा के राष्ट्रपति बने। उन्होंने फरवरी 2008 में अपने पद से इस्तीफा देने के साथ साल 2006 में ही अपने भाई को सत्ता हस्तांतरण कर दिया था।
अमेरिका को दिया था चुनौती
फिदेल कास्त्रो 1959 में क्यूबा की क्रांति के जरिए फुल्गेंकियो बतिस्ता की तानाशाही को उखाड़ कर क्यूबा की सत्ता पर काबिज हुए थे। फुल्गेंकियो बतिस्ता को अमेरिका समर्थित नेता माना जाता था। आधी शताब्दी तक क्यूबा पर राज करने वाले फिदेल कास्त्रो को सबसे बड़े कम्युनिस्ट नेताओं में शामिल किया जाता था। शीतयुद्ध के दौरान सोवियत सेना को अमेरिका के खिलाफ अपनी सीमा में मिसाइल तैनात करने की मंजूरी देकर फिदेल कास्त्रो दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गए थे। पड़ोसी होने के बावजूद अमेरिका से इनके संबंधों में काफी खटास रही। हाल ही में ओबामा ने इस दूरी को पाटने का भरसक प्रयास किया है। दुनियाभर के नेताओं ने कास्त्रो के निधन पर शोक जताया है।