नई दिल्ली। रेलवे को एक किसान को मुआवजा न देना मंहगा पड़ा है। जमीन अधिग्रहण के एक मामले में रेलवे ने उसे मुआवजा नहीं दिया तो कोर्ट ने स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस और लुधियाना स्टेशन को पीड़ित किसान संपूरण सिंह के नाम कर दिया। यानी अब स्वर्ण शताब्दी ट्रेन और लुधियाना स्टेशन का मालिक रेलवे नहीं बल्कि किसान सपूरण सिंह है।
वादकार की अपील पर अदालत ने स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस और स्टेशन के कुर्की का आदेश दिया। दरअसल लुधियाना-चंडीगढ़ ट्रैक के लिए रेलवे ने किसान से जमीन अधिगृहित की और मुआवजे के तौर पर उसे 42 लाख रुपए दिए, जबकि कोर्ट द्वारा मुआवजे के आधार पर किसान को कुल 1 करोड़ 5 लाख रुपये मिलने थी, लेकिन रेलवे ने ऐसा नहीं किया, जिसके बाद संपूरण सिंह ने कोर्ट में केस किया। साल 2015 में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और रेलवे को ब्याज के साथ मुआवजे की रकम अदा करने का आदेश दिया गया। कोर्ट के आदेश के बावजूद रेलवे ने मुआवजे की रकम नहीं अदा की तो कोर्ट ने संपूरण सिंह के पक्ष में डिक्री देते हुए स्टेशन और स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के कुर्की का आदेश दे दिया और इससे किसान के मुआवजे की रकम अदा करने की बात कही।