नई दिल्ली। सरकार ने 8 नवंबर को नोबंदी की और देश में पुराने 500 और 1000 के नोट को बैन कर दिया। सरकार ने फौरन 500 के नए औ र पहली बार 2000 के गुलाबी नोट जारी किए। इस नोट को लेकर लोगों ने कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दी। लोगों ने इसकी क्वालिटी को लेकर सवाल उठाए, लेकिन अब संसद में इन नए नोटों को वापस लेने की मांग उठने लगी है। सरकार पर इन नए 500 और 2000 के नोट को वापस लेने का दवाब बनाया जा रहा है।
डीएमके ने इन नोटों को वापस लेने की मांग की है। संसद में डीएमके सांसद त्रिरूचि शिवा ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि 500-1000 रुपए के नोटों जारी करते समय अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन नहीं किया गया है। दरअसल उन्होंने इन नोटों पर देवनागरी लिपि अंकों के छपे होने पर सवाल उठाया। उनका कहना है कि नोटों पर देवनागिरी अंकों का प्रयोग तभी किया जा सकता है, तब इस बावत कानून बनाया जाए। उन्होंने कहा कि 500 के नए और 2000 के नोटों को छापते वक्त अंतर्राष्ट्रीय मानकों का इस्तेमाल नहीं किया गया। ऐसे में सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।