नोटबंदी के बाद अभी सबसे ज्यादा मुश्किलों का दौर आया है। मौजूदा सप्ताह सैलरी सप्ताह है और लोगों के पास पैसे नहीं है। जिन कामगारों के खाते में पैसे आ गए हैं उन्हें बैंक से नहीं मिल रहे, आरबीआई और सरकार करंसी की कमी से लगातार इंकार कर रही है लेकिन बैंको में जरुरत के हिसाब से कंरसी उपलब्ध नहीं हो रहे।
तनख्वाह वाले सप्ताह में लोगों की परेशानियां कम हो और उन्हें जरुरत के पैसे मिल सके इसके लिए अब सेना ने कमर कस ली है। नोटबंदी से पहले देश के पांच में से दो या तीन प्रिंटिंग प्रेस में एक साथ नोट छपाई का काम होता था। लेकिन इस वक्त कैश का संकट कम करने के लिए पांचों प्रिंटिंग प्रेस में दो से तीन शिफ्ट में 24 घंटे काम हो रहा है। मैसूर की प्रेस में 24 घंटे 500 और 2,000 रुपए के नए नोट छापे जा रहे हैं।
प्रिंटिंग स्टाफ की मदद के लिए सेना के 200 जवानों की मदद ली जा रही है। हर शिफ्ट में सेना के यह जवान नोट छाप रहे हैं।
जवान पेपर को मशीन तक पहुंचाने, उसे मशीन में लोड करने, पैकेजिंग, लोडिंग और अनलोडिंग जैसे तमाम काम कर रहे हैं। सेना के जवान छपी हुई करंसी के डिस्ट्रिब्यूशन के दौरान सिक्युरिटी भी देख रहे हैं।
नासिक: रोज छप रहे 70 लाख नोट, सभी 500 रुपए के
नासिक का प्रिंटिंग प्रेस तीस साल पुराना है। इस प्रेस में सिर्फ 500 के नोट छप रहे हैं। दिनभर में 70 लाख नोट छापे जा रहे हैं। करीब 1600 लोग दो शिफ्ट में 23 से 24 घंटे काम कर रहे हैं।
एक और पुरानी मशीन को चालू किया गया है जिसपर 500 के अलावा 100, 50, 20 और 10 के नोट भी छप रहे हैं। इसके लिए भी कागज होशंगाबाद से और स्याही देवास से आ रही है। यह 1985 की मशीन है, तब से इसकी सर्विसिंग भी नहीं की गई है। यहां के कर्मचारियों के मुताबिक अगर इसे अपग्रेड किया जाए तो प्रोडक्शन और क्वालिटी बढ़ जाएगी। नोटबंदी से दो महीने पहले ही यहां 500 और 1000 के नोटों की छपाई पर रोक लगा दी गई थी।
देवास: यहां तकरीबन २ करोड़ नए नोट रोज छापे जा रहे हैं
सिक्युरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की यूनिट बीएनपी की सभी मशीनों पर 500 के नोट छप रहे हैं। कामगार तीन शिफ्ट में 8-8 घंटे काम कर रहे हैं। प्रोडक्शन बढ़ाने के लए रिटायर्ड कर्मचारियों की भी मदद ली जा रही है। इन्हें 15 हजार रुपए तक वेतन दिया जाएगा। बीएनपी से रोजाना औसतन दो कंटेनर नोट रिजर्व बैंक को भेजा जा रहा है। इनमें 2 करोड़ तक पीस होते हैं। फिलहाल, बीएनपी में 20, 50, 100 की छपाई नाममात्र रह गई है। बीएनपी में लगी मशीनों पर नोटों की छपाई अलग-अलग स्तर पर होती है। पहले कलर आता है। फिर डिजाइन और नंबर आते हैं। आखिर में कटिंग मशीन के बाद ऑटोमैटिक पैकिंग होती है और बंडल बन जाता है। इसी प्रेस में प्रिंटिंग मिस्टेक के कारण छपाई के बाद एक लॉट बेकार हो गया था जिसके बाद पुराने और एक्सपर्ट कर्मचारियों को बुलाया गया है।
सल्बोनीः पश्चिम बंगाल के सल्बोनी की प्रिटिंग प्रेस में भी 3 शिफ्ट में रोजाना 24 घंटे काम हो रहा है। यहां तकरीबन डेढ़ करोड़ नोट रोजाना छापे जा रहे हैं। सल्बोनी में नॉर्मल प्रोडक्शन से दोगुना प्रोडक्शन हो रहा है। यहां के प्रेस की स्याही मध्य प्रदेश के देवास से मंगाई जा रही है।
नोट छापने के लिए स्याही की कमी न पड़े, इसलिए देवास में स्याही बनाने का काम तीन शिफ्ट में 24 घंटे हो रहा है।
होशंगाबाद: यहां दिन-रात तैयार हो रहे हैं नोट के कागज.
यहां सिक्युरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में लगी पीएम-5 मशीन से 24 घंटे 500 के नोट का कागज तैयार हो रहा है। मशीन से अब तक करीब 100 मीट्रिक टन कागज बन गया है। अनुमान के मुताबिक, एक मीट्रिक टन कागज से 500 के करीब 3 लाख नोट (15 करोड़ रुपए) बनते हैं। अभी प्रतिदिन 10 मीट्रिक टन कागज बन रहा है। इनसे 500 के करीब 30 लाख नोट बनेंगे, जो 150 करोड़ के होंगे। नोट बनाने के लिए तीन शिफ्टों में 24 घंटे काम चल रहा है। एसपीएम के करीब एक हजार कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं। होशंगाबाद में तैयार हुआ नोट का कागज 10 दिन बाद ही रिजर्व बैंक में छपकर पहुंच जाता है। पूरे देश की नजर एसपीएम पर टिकी है। यहां करीब 1 हजार इम्प्लॉई काम करते हैं।
यहां सिक्युरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में लगी पीएम-5 मशीन से 24 घंटे 500 के नोट का कागज तैयार हो रहा है। मशीन से अब तक करीब 100 मीट्रिक टन कागज बन गया है। अनुमान के मुताबिक, एक मीट्रिक टन कागज से 500 के करीब 3 लाख नोट (15 करोड़ रुपए) बनते हैं। अभी प्रतिदिन 10 मीट्रिक टन कागज बन रहा है। इनसे 500 के करीब 30 लाख नोट बनेंगे, जो 150 करोड़ के होंगे। नोट बनाने के लिए तीन शिफ्टों में 24 घंटे काम चल रहा है। एसपीएम के करीब एक हजार कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं। होशंगाबाद में तैयार हुआ नोट का कागज 10 दिन बाद ही रिजर्व बैंक में छपकर पहुंच जाता है। पूरे देश की नजर एसपीएम पर टिकी है। यहां करीब 1 हजार इम्प्लॉई काम करते हैं।
मैसूरः देश का सबसे आधुनिक नोट छापने वाला प्रेस
नोटबंदी के बाद पहली बार सैलरी मिलने का सप्ताह आया है और इसके लिए सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। सबसे पहले मैसूर प्रेस ने ही सेना से मदद मांगी। सेलरी सप्ताह शुरु होने से पहले एयरफोर्स ने 210 टन करंसी की सप्लाई प्रिंटिंग प्रेस से RBI के सेंटर्स तक कर दी है। मैसूर देश का सबसे आधुनिक प्रेस है यहां सबसे ज्यादा तकरीबन 3 करोड़ नोट रोज छापे जा रहे हैँ। सबसे ज्यादा 500 के नोट छापे जा रहे हैं ताकि लोगों को पर्याप्त पैसे भी मिले औऱ बाजार में चेंज कराने में दिक्कत भी नहीं हो।
नोट छापने और उसे बैंकों तक पहुंचाने की प्रक्रिया में सेना के शामिल होने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले १० दिनों में कैश की किल्लत काफी हद तक समाप्त हो जाएगी