चौधरी चरण सिंह की जयंती पर उत्तर प्रदेश में एक राजनीतिक समीकरण की संभावना को बल मिला। चौधरी चरण सिंह पर लिखी एक किताब के विमोचन के बहाने के उत्तर प्रदेश की राजनैतिक भविष्य पर चर्चा हुई। बीजेपी के खिलाफ लामंबद होते हुए समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल और जेडीयू के सीनियर लीडर इस मौके पर मिले महागठबंधन को जल्द से जल्द शक्ल देने की कवायद शुरु की गई। सूत्रों के अनुसार, समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस और आरएलडी-जेडीयू को सीटों का ऑफर किया है।
हालांकि तय कार्यक्रम के बाद सेहत की वजह से एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव इस कार्यक्रम में नहीं आए लेकिन अमर सिंह शामिल हुए। यह भी सोच समझकर लिया गया फैसला लगता है ताकि मामला फिर अटके तो सुलझाने के लिए मुलायम सिंह अपना वीटो लगा सकें। कांग्रेस की ओर से सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल आए थे। कांग्रेस की ओर से समझौते पर चर्चा गुलाम नबी आजाद ही कर रहे हैं। इस मौके पर अजित सिंह और जेडीयू नेता केसी त्यागी भी मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार एसपी की ओर से कांग्रेस, आरएलडी और जेडीयू को नए सिरे से सीट समझौते का फॉर्म्युला दिया। नए फॉर्म्युले के तहत कांग्रेस को 72 सीटें देने का प्रस्ताव है, जबकि आरएलडी और जेडीयू के लिए लगभग 38 सीटें छोड़ी जा सकती है, जिनमें अधिकांश आरएलडी के पास रहेगी। समाजवादी पार्टी के इस फार्मूले पर दूसरी सभी सहयोगी पार्टियों ने आपस में तकरीबन एक घंटे तक चर्चा की। तय यह हुआ कि एक-दो दिनों में सभी दल अपनी पार्टी में राय-मशविरा करके एक आपसी सहमति बना लें। उसके बाद अंतिम फैसले के लिए मुलायम सिंह यादव के साथ बैठक होगी और तभी औपचारिक ऐलान होगा।
पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुलकर बोलते रहे हैं कि अगर वो कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो उनके गठबंधन को ३०० से ज्यादा सीटें आएँगी। हालांकि कांग्रेस २० और सीटें मांग रही है और दूसरी पार्टियां ५० सीटों की डिमांड कर रही हैं। यानी समाजवादी पार्टी ११० सीटें दे रही हैं और गठबंधन में आऩे के लिए कांग्रेस समेत सभी दूसरे दल १५० सीट मांग रहे हैं। मीडिया सरकार के सुत्रों के मुताबिक कांग्रेस को ८० और दूसरी सहयोगी पार्टियों को ४० सीटें दी जा सकती हैं। और इस बाबत समाजवादी पार्टी ने अपना रुख साफ भी कर दिया है। गठबंधन की संभावनाओँ को देखते हुए ही राहुल गांधी लगातार चुनावी सभाओं में सिर्फ मोदी पर हमले कर रहे हैं औऱ अखिलेश और उनकी चर्चा भी नहीं कर रहे।
दूसरी तरफ कांग्रेस से जुड़े सुत्रों का कहना है कि असल में कांग्रेस की समस्या यह नहीं है कि सीटें कम मिल रही हैं बल्कि उसे मुश्किलें आएंगी तब जब उसकी मनपसंद सीटें नहीं मिलेंगी। कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार सीटों का मामला सुलझाया जा सकता है अगर उन्हें ऐसी सीट दी जाएं जहां वह मजबूत है। सूत्रों के अनुसार शुरुआत में एसपी सिर्फ वही सीटें कांग्रेस को देने को तैयार थी जहां मुकाबला बीएसपी और बीजेपी के बीच था और एसपी खुद को बहुत कमजोर मान रही थी लेकिन कांग्रेस ने गठबंधन होने पर बीच का रास्ता अपनाने का आग्रह किया है। कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार 72 सीटों पर भी लड़ने को वह तैयार हैं, बशर्ते ये सीटें जीतने के हिसाब से बेहतर संभावना वाली हों। गठबंधन की कोशिश में जुटे एक सीनियर नेता ने शुक्रवार को बताया कि अजित सिंह का अपना मजबूत इलाका तय है और अगर वहां उन्हें अधिकतर सीटें लड़ने को मिल गईं तो उन्हें परेशानी नहीं होगी। वहीं यूपी में अपना जनाधार बनाने की कोशिश में जुटी जेडीयू को जितनी भी सीट मिले, उसे कबूल होगी क्योंकि उसके पास खोने को कुछ नहीं है। ऐसे में अगर कांग्रेस ने एक कदम आगे बढ़ाया तो गठबंधन होगा और यह बिहार की तरह महागठबंधन में तब्दील हो जाएगा।