नई दिल्ली। नए साल यानी 2017 से देश को आर्मी चीफ और एयरफोर्स चीफ नया मिल रहा है। केंद्र सरकार ने उप थल सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को देश का अगला थल सेना प्रमुख नियुक्त किया है। वहीं एयर मार्शल बीएस धनोआ को वायु सेना प्रमुख नियुक्त किया गया है। वर्तमान सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग और वायुसेनाध्यक्ष अरुप राहा दोनों 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
बिपिन रावत गोरखा बटालियन से सेना प्रमुख बनने वाले लगातार दूसरे अफसर हैं। वतर्मान सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग भी गोरखा राइफल्स से हैं। वाइस चीफ नियुक्त किए जाने से पहले रावत को पुणे स्थित दक्षिणी कमान का कमांडिंग ऑफिसर बनाया गया था। मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट में वे जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2 रहे।
बिपिन रावत की महारथ
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को ऊंची चोटियों पर लड़ाई में महारत है। वे कश्मीर घाटी के मामलों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल रावत को काउंटर इंसर्जेंसी का विशेषज्ञ माना जाता है। कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स और इंफैंट्री डिवीजन के वे कमांडिंग ऑफिसर रह चुके हैं.
सरकार के फैसले पर उठे सवाल
कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में आतंकवाद से निपटने का अच्छा खासा अनुभव रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को आर्मी चीफ नियुक्त किए जाने के बाद विपक्ष ने सरकार के फैसले पर विरोध शुरू कर दिया है। इसके पीछे वजह है कि बिपिन रावत से ज्यादा वरिष्ठ दो अधिकारी भी आर्मी चीफ बनने की दौड़ में थे। अब इसी मुद्दे पर विरोधी पार्टियां सवाल खड़ा कर रही हैं कि आखिर सीनियर अधिकारियों को दरकिनार कर बिपिन रावत को आर्मी चीफ क्यों बनाया गया? कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने इसपर सवाल उटाए हैं। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी से ट्विट कर सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा कर दिया है।
दरकिनार किए गए वरिष्ठ अधिकारी
वर्तमान आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग के बाद पूर्वी आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्सी सबसे ज्यादा सीनियर सेनाधिकारी हैं। उनके बाद वरिष्ठता के मामले में उनके बाद दक्षिणी थल सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी एम हारिज आते हैं। फिर इसके बाद बिपिन रावत का नंबर आता है। लेकिन सेनाध्यक्ष का पदबार बिपिन रावत को दिया गया।