देश में समय समय पर बड़े लोगों के सेक्स टेप आते रहे हैं। टेप तो छोटे लोगों के भी बनते होंगे लेकिन उनकी चर्चा नहीं होती है क्यूंकि वो समाज को प्रभावित नहीं करते । बस इतनी सी बात है जो हाल में आए दिल्ली के बर्खास्त मंत्री संदीप कुमार के मामले में समझने की जरुरत है। संदीप कुमार के सेक्स टेप के बाद केजरीवाल ने तुरंत बर्खास्त कर, अपना बयान जारी कर उसे आंदोलन और पार्टी के साथ धोखा करार दिया। मनीष सिसौदिया ने अपनी पार्टी को जीरो टॉलरेंस वाली पार्टी साबित करने की बीड़ा उठा लिया। भले ही अरविंद और मनीष ने संदीप कुमार से पल्ला झाड़ अपने दामन को और दागदार बनाने से बचाने की असफल कोशिश की हो लेकिन उनके इस प्रयास पर भी अरविंद के विदेश जाते ही पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष ने पानी फेर दिया।
जब से यह टेप पब्लिक डोमेन में आया इस बात की चर्चा हो रही है कि किसी के घर में झांकने का क्या औचित्य। कई लोग इस आधार पर संदीप को छूट देना चाहते हैं कि मर्जी से दो व्यस्क लोगों के संबंध में क्या हर्ज । सही भी है लेकिन इस बेतुकी दलील वालों को यहां इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि इसी समाज में अनैतिक संबंध की भी एक धारणा है, हिंदू समाज में एक पत्नी को घर में रखकर दूसरी औरत की मर्जी से भी संबंध बनाने को ही अवैध संबंध कहते हैं । जहां समाजिक और कानूनी परिभाषा में जो संबंध अवैध हैं उसे किसी भी दलील से वैध नहीं करार दिया जा सकता । लिहाजा आशुतोष या फिर किसी और कहना कि यह दो व्यस्कों की आपसी रजामंदी है निहायत ही बेहूदा, बचकाना और बेतुका है। इस आधार पर तो देश में फैला भ्रष्टाचार भी दो व्यस्कों की आपसी रजामंदी है तो उसे भी जायज माना जाए, रिश्वर भी आपसी रजामंदी है उसे भी जायज माना जाए। खैर छोड़िए….
आशुतोष ने संदीप का बचाव करते हुए जो दलील दी और जिस तरीके से कई बड़े नेताओं के संबंध, रिश्ते और प्रयोग पर सवाल उठाए वो निहायत ही वाहियात हैं। जो लोग अभी तक आशुतोष को पढ़ा लिखा मानते होंगे उनके लिए यह एक सदमा से कम नहीं होगा। आशुतोष ने इस खबर को प्रकाशित करने को प्रसारित करने के लिए संपादकों को भी कटघरे में खड़ा किया जबकि खुद कुर्सी पर होते हुए कांग्रेसी वकील नेता अभिषेक मनु सिंघवी का वीडियो प्रसारित कर चुके थे। तब उनको शायद यह ब्रह्म ज्ञान नहीं हुआ था कि दो व्यस्कों के बीच की कहानी न सुनाई जाए। आशुतोष ने जिस आनन-फानन में संदीप का बचाव किया और अरविंद केजरीवाल से बगावत की उससे आशुतोष के अँदर का डर सामने आ गया। अगर आप आज उनपर गौर करेंगे तो पाएँगे कि आखिर आशुतोष को किस बात की चिंता है जिससे वो अरविंद के फैसले के खिलाफ जाकर संदीप के सेक्स टेप का बचाव कर रहे हैं।
अगर आप यह समझते हैं कि जिस तरीके से आशुतोष ने बड़े-बड़े लोगों के संबंधों की चर्चा अपने लेख में की है उससे वो उनकी तुलना संदीप कुमार से करना चाहते हैं तो आप नादान हैं, दरअसल आशुतोष अपना भविष्य देख यह बयान देने को मजबूर हुए । उन्हें इस बात का डर सताने लगा होगा कि कहीं उनकी भी कोई कहानी सार्वजनिक नहीं हो जाए, शायद उनका भी कोई टेप न आ जाए। क्योंकि ऐसा हो सकता है और ऐसा इसलिये हो सकता है क्योंकि खामोश मेनस्ट्रीम मीडिया के बड़े बड़े कर्णधारों की कहानी एक दूसरे को मालूम है। हम तो आशुतोष से कहेंगे कि डरिए मत क्यूंकि डर के आगे जीत है।