नबील वानी, नाम सुना है क्या आपने, जी , जी हां , जी नहीं । जी यह नबील वानी कश्मीरी है। उसी कश्मीर का एक नया वानी जहां पिछले दो महीने से कर्फ्यू लगा है क्योंकि एक आतंकवादी बुरहान वानी को सेना ने मार गिराया और पाकिस्तान के इशारों पर नाचने वाले चंद अलगाववादी इलाके के मासूमों को ढाल बना कर हर रोज उनको मौत की नींद सुला रहे हैं। क्या यह नबील वानी भी बुरहान वानी की तरह आतंकवादी है – जी नहीं यह नबील बानी, कश्मीरी है और इसे अपने मुल्क हिंदुस्तान से उतना ही प्रेम है जितना आपको और हमें है। इस नबील वानी ने यूपीएससी की असिस्सटेंट कमांडेंट की परीक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त किया है । बचपन से बीएसएफ में जाने का सपना पाले नबील बानी ने राज्य और देश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। पाकिस्तान समर्थित अलगाव वादियों के मुंह पर नबील ने जोरदार तमाचा जड़ा है।
दरअसल दोनों वानी का फर्क उनकी परवरिश का फर्क है और उनकी परवरिश से ही उनकी चाहत जुड़ी है । चिंतक पंकज झा लिखते हैं ” एक ‘वानी’ बुरहान था जो मर गया और उसका बाप ज़िंदा है. बाप की इच्छा है कि उसकी बेटी भी मरे ‘जेहाद’ करते हुए. शायद अपनी बेटी को भी दाव पर लगा कर वह अपना मकान और बड़ा करना चाहता होगा. 4 गाड़ियों के अपने बेड़े में कुछ और लग्जरी गाड़ियां जोड़ना चाह रहा होगा.
एक वानी ‘नबील’ भी हैं जो खुद तो ज़िंदा हैं लेकिन उनके पिताजी जीवित नहीं हैं. नबील ने बीएसएफ के कमांडेंट की परीक्षा में समूचे भारत में टॉप किया है. नबील अपने मरहूम पापा को याद करते हुए कहते हैं- ‘प्यारे पापा, एक दिन हमने मिलकर एक सपना देखा था कि मैं फ़ोर्स में ऑफिसर बनूं. आप जन्नत में हैं और यह सपना मेरे साथ ही रह गया था. आज मैं कह सकता हूं कि मैंने पिता का लक्ष्य पा लिया है. अब मैंअसिस्टेंट कमिश्नर हूं. मेरे कंधे पर तीन स्टार हैं.’
एक जीवित बाप अपने दो जवान बेटे के जान की सौदा कर घर/कार खरीदता है. अब अपनी बेटी को भी ‘बेचने’ के लिए तैयार है. दूसरा मरहूम पिता मरते हुए भी अपने चिरंजीव को एक सपना देकर जाता है ताकि वह भारत का सीना चौड़ा कर सके. दोनों वानी के पिता शिक्षक रहे हैं.
नबील कहते हैं. वो भी वानी था और मैं भी वानी हूं. लेकिन मुझे लगता है कि पत्थर नहीं, पेन उठाने से दुश्वारियां खत्म होंगी.”