@ राजबब्बर जी, ’12रुपये में भरपेट खाना’ बयान में मेरा सवाल कड़वा लगा, लेकिन क्या करुं, मुझे, एक जर्नलिस्ट, को भी तो जवाब देना होता है – इस देश के लोगों को
ABP News के #प्रेसकान्फ्रेंस के शूट के दौरान सबकुछ सामान्य-सा चल रहा था। न्यूज़ चैनलों में एक दशक गुजारने और न्यूज़रुम की ‘अरररे ब्रेक्रिंग फोड़ो, लाइव काटो, खेल जाना है, तान दो’ के कल्चर के बीच रहे मेरे जैसे जर्नलिस्ट के लिए वो सब असामान्य था, सो मैंने बीच में घुसकर, लाइन तोड़कर, दिबांग सर के इशारा करने के बावजूद, बॉलीवुड अभिनेता, पांच बार के सांसद (तीन बार लोकसभा, दो बार राज्यसभा) और अब ठीक उत्तरप्रदेश चुनाव के पहले, यूपी कांग्रेस के मुखिया बनाए गए राजब्बर से सवाल पूछ ही डाला…खुद को गरीबों की हितैषी कहने वाली पार्टी, 1971 में गरीबी हटाओ का नारा देने वाली पार्टी, गरीबों के वोटबैंक पर दशकों तक देश में राज करने वाली पार्टी, एक ऐसे इंसान को यूपी में अपनी पार्टी का मुखिया बनाती है जो कभी देश के गरीबों से 12 रुपये में भरपेट खाना मिलता है, जैसा मजाक कर चुका हो..खासकर उस राज्य में जहां, एक तिहाई लोग आज भी गरीब है, बहुत गरीब है….कुछ ऐसा ही था मेरा सवाल..बस राजबब्बर जी भड़क उठे..दिबांग सर मुस्करा दिए..शो प्रोड्यूसर संजय पांडे के चेहरे पर संतोष छा गया- लो गुरु, हो गया बवाल, अब मिलेगी टीआरपी..टाइप…
हो सकता है कि न्यूज़ चैनल को टीआरपी की चिंता होगी,…एंकर को अपने शो के हिट होने की..गेस्ट, राजबब्बर को अपने बेहतर टीवी प्रदर्शन की….लेकिन मुझे मेरे जमीर की चिंता थी, मेरी आत्मा की चिंता थी..मेरे देश के उन लोगों की चिंता थी- जो अब भी सोचते हैं कि मीडिया में ऐसे लोग है, जो उनकी लड़ाई लड़ रहे हैं…और ऊपर आसमान में बैठे मेरे पापा, ये सोच रहे होंगे, कि बेटा अपनी कलम से गद्दार नहीं निकला..
राजबब्बर जी, माफ कीजिए, हम जैसे हजारों जर्नलिस्ट हैं, जो आज भी पैसों के पीछे नहीं, अपने सवालों के उत्तर के पीछे दीवाने होते है..हम गरीब सही, लेकिन ऐसे ही है…शायद यहीं तो जर्नलिस्म है..और जर्नलिस्म करने का मजा…
आमीन्
युवा पत्रकार निमिष कुमार के फेसबुक वॉल से साभार