मंदसौर। मध्य प्रदेश में मंदसौर में किसानों की मौत के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। गोलीकांड के बाद मंदसौर में तनावपूर्ण माहौल है। किसानों के इस प्रदर्शन ने अब उग्र रूप ले लिया है। मंदसौर के डीएम स्वतंत्र कुमार सिंह ने इस आंदोलन को लीडर लैस मूवमेंट का नाम दिया है। नीमच-रतलाम हाइवे पर जली हुई ट्रके आपको दिखाई देगी। खेतों में आग लगा दी गई है। ग्रामीण इलाकों की हालत और खराब है। लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई है।
कल पूरे दिन पुलिस नीचम-रतलाम हाईवे को शुरू कराने में लगी रही। किसानों के इस उग्र आंदोलन के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी उनसे मिलना चाहते थे, लेकिन उन्हें मंदसौर दौरे की अनुमति नहीं दी गई है। पुलिस का कहना है कि अभी जिस तरह के हालात है ऐसी स्थिति में हम किसी भी वीआईपी को यहां आने की इजाजत नहीं दे सके। उग्र प्रदर्शनकारियों ने कल डीएम स्वतंत्र कुमार सिंह और पत्रकारों पर भी हमला किया था। हालात को देखते हुए मंदसौर जिले में परसों से ही कर्फ्यू लगा दी गई है। इलाके में दंगा विरोधी दस्ते के 1100 जवानों को तैनात किया गया है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में दो जून से किसान आंदोलन कर रहे हैं। अनाज की उचित कीमत और कर्जमाफी को लेकर वो प्रदर्शन कर रहे थे। 3 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के बाद मामला सुलझने का दावा किया था। जिसके बाद किसानों के एक धड़े ने आंदोलन वापस भी ले लिया, लेकिन बाकी किसान विरोध प्रदर्शन पर अड़े रहे। जिसके बाद 6 जून को प्रदर्शनकारी और सुरक्षाबलों में मुठभेड़ शुरू हो गया। दोनों ओर से पत्थरबाजी की गई और फिर गोलियां चली, जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि गोलियां सीआरपीएफ की ओर से चलाई गई, जबकि सरकार का कहना है कि उन्होंने गोली चलाने की इजाजत ही नहीं दी थी।