सरेआम सड़क पर महज गाड़ी को साइड नहीं देने की वजह से गोली मारकर एक नौजवान की जान लेने की कहानी आप भूले नहीं होंगे। और भूलनी भी नहीं चाहिए क्योंकि यह कोई फिल्मी कहानी नहीं दर्दनाक हकीकत है जो महज छह महीने पहले बिहार में घटी। वो हत्यारा और गुंडा रॉकी जेल से जमानत पर बाहर आ रहा है। बिहार में सुशासन का दावा करने वाली सरकार की आंखों के सामने यह सब हो रहा है और वो भी तब जब सरकार ने खुद उस घटना के बाद मारे गए नौजवान के घर जाकर उसको इंसाफ दिलाने की बात की थी। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार मनोज मलयानिल लिखते हैं।
(करीब 6 महीने पहले बिहार के गया में रॉकी यादव नाम के एक शख्स ने अपनी नई लैंडरोवर गाड़ी को पास नहीं देने पर स्विफ्ट कार में सवार 12वीं क्लास के एक छात्र आदित्य राज सचदेवा की गोली मार कर हत्या कर दी थी। रॉकी के बॉडीगार्ड ने गवाही दी कि रॉकी ने ही आदित्य पर गोली चलाई थी। रॉकी यादव के पिता बिंदी यादव लालू की पार्टी के नेता थे और रॉकी की मां जेडीयू की नेता। जाहिर है पुलिस कार्रवाई करने में आनाकानी कर रही थी। मीडिया ने मामले को जोरशोर से उठाया उसके बाद रॉकी यादव और उसके मां-बाप के खिलाफ कार्रवाई हुई। 18 साल के आदित्य राज की मौत के बाद उसके माता-पिता टूट चुके थे और न्याय की मांग कर रहे थे। सुशासन बाबू नीतीश कुमार आदित्य के घर गया गए। पीड़ित परिवार से उन्होंंने मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि परिवार को न्याय मिलेगा। 18 साल के आदित्य की मृत आत्मा को 6 महीने में ही न्याय मिल गया है। पटना हाईकोर्ट ने तमाम साक्ष्यों के बाद भी रॉकी यादव को जमानत दे दी है। रॉकी यादव एक बार फिर अपनी कमर में रिवॉल्वर खोंसकर लैंडरोवर पर सवार होकर किसी दूसरे आदित्य को रौंदने के लिए जेल से बाहर आने को तैयार है।)
हालांकि बिहार सरकार ने हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला किया है लेकिन सवाल यह उठता है कि जब पटना हाईकोर्ट में मामला चल रहा होता है, तो सरकारी वकील वहां किस कदर जिरह करते हैं कि आरोपी को जमानत मिल जाती है। हाल ही में हमने शहाबुद्दीन के मामले में भी ऐसा ही देखा। मीडिया का दबाव नहीं होता तो शायद शहाबुद्दीन इतनी जल्दी दोबारा सलाखों के पीछे नहीं पहुंच पाते।
रॉकी यादव की जमानत के बाद आदित्य के परिवार वाले सहमे हुए हैं। जो परिवार पहले से ही जवान बेटा खोने का गम का झेल रहा हो उसके लिए यह किसी त्रासदी से कम नहीं है।